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जैसा कि सजनों हम सब जानते हैं कि कलुकाल जाने वाला है और सतवस्तु आने वाली है। इस तथ्य के दृष्टिगत ही सजनों सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ के माध्यम से……
सजनों मानव जीवन एक खेल है। हम अपने जीवन का खेल बिगाड़ न बैठे इस हेतु हमारे लिए बनता है कि हम इस खेल में सुनिश्चित रूप से विजयी होने के लिए सर्वप्रथम अपनी योग्यता और शक्ति पर दृढ़ विश्वास रखते हुए, इस विचित्र कार्य को आत्मसंयम द्वारा यानि अपनी इन्द्रियों और मन को वश में रखते हुए, जोश के स्थान पर होश में बने रहते हुए, खेलने के तौर तरीके….
आओ समझते हैं कि मनुष्य रूप में हम हैं क्या ?
हम मानव हैं। मानव यानि प्रकृति की सर्वोत्तम अद्भुत कलाकृति। मानव रूप में हमारा यह जन्म सभी जन्मों में श्रेष्ठ, महत्त्वपूर्ण व दुर्लभ है तथा मोक्ष का द्वार है……
हम मानव यथार्थता में अपने मानव होने की सत्यता को प्रतिष्ठित कर सकें उसके लिए हमें कलुकालवासियों द्वारा अपनाए मानवत् भाव के स्थान पर मानवता का भाव अपना सदा एकता व एक अवस्था में बने रहना होगा….
सजनों अब तक हम जान चुके हैं अज्ञान व अचेतना के कारण पनपे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रूपी विषय विकारों के बारे में। इसी संदर्भ में जानो कि अचेतन अवस्था सब बुराईयों व बिमारियों की जड़ है, पाप है, अधर्म है जो हमारे सुख, आनंद और खुशी का विनाश कर उसे विध्वंस कर देती है…..